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Tiddi attack in western rajsthan

पश्चिमी राजस्थान के तीन जिलों में टिड्डी के हमले का खतरा

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Tiddi attack in western rajsthan

 

Tiddi attack in western rajsthan

ईरान से पाकिस्तान के रस्ते भारत आने वाली टिड्डियां राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में उगने वाले चार पौधों  ( कैर, गोखरू, दूधी, बुई ) को खाने यहां आती है।

 

इटली से आई टीम ने किया सर्वे

इटली से आई टीम ने इन चार पौधों को टिड्डियो का पसंदीदा भोजन बताया है । इस पौधों में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है ।

राजस्थान बोर्डर के 2500 km इलाके में टीम ने टिड्डियो के व्यवहार , आहार , और भारत आने की संभावना पर सर्वे किया।

एक्सपर्ट ने दावा किया कि अगले 6 महीने टिड्डियों का खतरा नहीं है । इस समय यमन और मोरक्को में टिड्डी प्रजनन हुआ है ।

 

कैसे तीन जिलों में खतरा

राजस्थान के पाकिस्तान से सटे तीन जिलों में टीम ने अलर्ट जारी किया है ।

ये तीन जिले : जैसलमेर , बीकानेर और बाड़मेर है । सांचौर जिले में भी इसका खतरा बना हुआ है ।

 

इटली से आई टीम का 9 दिन सर्वे

टिड्डी नियंत्रण विभाग जोधपुर के प्रभारी डॉ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इटली में बने FAO रोम से डेजर्ट लोकस्ट फोरकास्टिंग अधिकारी डॉ सिरिल जोधपुर आए हुए है ।

उन्होंने 9 दिन के सर्वे में टिड्डी से जुड़ी जानकारियां जुटाई और उन्हें आकर्षित करने वाले पौधों के बारे में अनुसंधान किया ।

इस अनुसंधान में सामने आया कि अगले छह महीने तक राजस्थान में टिड्डी के आने की कोई संभावना नहीं है ।

विभाग ने भी पहले अपने सर्वे में अनुमान लगाया था कि हवाओं के उल्टे बहाव के कारण टिड्डियां यहां नहीं आ पाएगी।

 

2500 KM के एरिया में हुआ सर्वे

डॉ वीरेंद्र ने बताया कि भारत में सर्वे के लिए ई लोकट्स 3M प्रो मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाता है । जबकि इटली के एक्सपर्ट ई लोकट्स 3W के जरिए सर्वे करते है ।

इटली के ऐप में जीपीएस के साथ ही हाइ कैमरा क्वालिटी की मदद से खरपतवार के बीच टिड्डियों की पहचान की जाती है ।

इलाके को चिन्हित कर फसलों , पौधों और टिड्डियो के रहने के माहौल की जांच की गई । नेट केज से टिड्डी का नमूना लेकर FSIL बीकानेर लैब में भेजा गया।

राजस्थान में 2019 में आई थी टिड्डी

राजस्थान के बॉर्डर इलाकों बीकानेर , जैसलमेर , बाड़मेर , सांचौर , जोधपुर में साल 2019 में टिड्डी आई थी । उस समय पूरे प्रदेश में लगभग चार लाख हेक्टेयर फसलों को टिड्डी ने चट कर दिया था ।

हजारों किसानों के खेत बर्बाद हो गए थे । और किसानों को भरी मात्रा में नुकसान हुआ था ।

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