Sindhu jal samajhauta रद्द होने से पाकिस्तान मे खलबली
Sindhu jal samajhauta रद्द होने से पाकिस्तान मे खलबली, sindhu jal samajhauta radd
पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान के शामिल होने के सबूत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित रक्षा बैठक में कुछ कड़े फैसले लिए गए ।
सिंधु जल समझौता रद्द
उन फैसलों में सबसे प्रमुख है _Sindhu jal samajhauta रद्द करना। सिंधु नदी प्रणाली पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था निर्भर है । इससे पाकिस्तान में खेती और पीने के पानी की किल्लत हो जाएगी, जिससे पाकिस्तान सरकार सदमे में है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार रात घोषणा की कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने, राजनीतिक संबंधों में कटौती और अन्य कठोर कदमों के जवाब में प्रतिक्रिया तय करने के लिए पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व गुरुवार को बैठक करेगा ।
जिसमें शीर्ष सैन्य और असैन्य अधिकारी शामिल होंगे। यह बैठक जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े कदमों के जवाब में बुलाई गई है।
पहलगाम आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई थी और आतंकियों ने हिंदू धर्म के अनुयायियों की पहचान करके उन पर गोलियां बरसाई थी ।
Sindhu jal samajhauta रद्द होने पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आसिफ ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की जाएगी ।
भारतीय कदमों का उचित जवाब देने के लिए निर्णय लिए जाएंगे ।इस बैठक में थल सेना, नौसेना और वायु सेवा के प्रमुखों के साथ-साथ प्रमुख कैबिनेट मंत्री भी शामिल होंगे ।
ऐसी बैठक आमतौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा हेतु बुलाई जाती है । पहलगाम में हुई जघन्य आतंकी वारदात के बाद पाकिस्तान पर एक बार फिर उंगलियां उठने लगी है ।
और माना जा रहा है कि भारत सरकार अभी और कड़ी कार्रवाई कर सकती है । जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कार्रवाई भी शामिल है ।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदम
भारत में पहलगाम आतंकी हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ते हुए यह सख्त कदम उठाए हैं । नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी (सीसीएस) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए जो इस प्रकार है_
- सिंधु जल संधि को स्थगित करना :1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है यह फैसला तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता
- राजनयिक संबंधों में कटौती :1 मई 2025 तक और कटौती के माध्यम से उच्चायोगों में तैनात लोगों की कुल संख्या वर्तमान में 55 से घटकर 30 कर दी गई है । नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है, जिन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ना होगा।
- अटारी बॉर्डर बंद :अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है । वैद्य दस्तावेजों के साथ पाकिस्तान गए भारतीय नागरिकों को 1 मई 2025 तक लौटने की अनुमति दी जाएगी ।
- पाकिस्तानी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध :पाकिस्तानी नागरिकों को दक्षेस वीजा छूट योजना के तहत भारत यात्रा की अनुमति नहीं होगी पहले जारी किए गए सभी SVES वीजा रद्द कर दिए गए हैं । और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है ।
- भारतीय स्टाफ की वापसी :भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से रक्षा नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाने का फैसला लिया है । दोनों देशों के उच्चायोगों में यह पद अब निरस्त माने जाएंगे । इन फैसलों की घोषणा विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की । उन्होंने कहा कि सीसीएस में पहलगाम हमले के अपराधियों और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का संकल्प लिया है।
सिंधु जल समझौता क्या है
Sindhu jal samajhauta भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को कराची में हुआ एक ऐतिहासिक जल बंटवारा समझौता है ।
इसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी और इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे ।
यह समझौता सिंधु नदी और उसकी पांच सहायक नदियों रावि, व्यास, सतलज, झेलम और चीनाब के जल बंटवारे को नियंत्रित करता है ।
इस समझौते में दोनों देशों को क्या मिला:
सिंधु जल समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान में नदियों के पानी और अन्य संसाधनों का बंटवारा किया गया है । इन नदियों को पूर्वी और पश्चिम नदियों में बांटा गया ।
पूर्वी नदियों यानी कि रावी, व्यास और सतलज पर भारत को पूर्ण नियंत्रण दिया गया । जिसका उपयोग भारत बिना किसी रोक-टोक के बिजली उत्पादन, कृषि और अन्य जरूरत के लिए कर सकेगा ।
वहीं पश्चिमी नदियों यानी कि सिंधु, झेलम और चिनाब का अधिकांश पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया है। लेकिन भारत को इन नदियों पर सीमित उपयोग जैसे बिजली उत्पादन की इजाजत है।
समझौते के मुताबिक सिंधु नदी प्रणाली का 80 फ़ीसदी पानी पाकिस्तान को मिलता है जबकि बाकी का पानी भारत के हिस्से में आता है ।
सिंधु जल आयोग की बैठकें दोनों देशों के बीच नियमित रूप से आयोजित होती है ताकि समझौते के कार्यान्वयन और विवादों का समाधान किया जा सके । आखिरी बैठक 31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी।
समझौता रद्द होने का पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा:
सिंधु जल समझौता पाकिस्तान के लिए एक लाइफ लाइन की तरह है क्योंकि यह देश अपनी कृषि, पेयजल और औद्योगिक जरूरत के लिए सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर अत्यधिक निर्भर है ।
समझौते को स्थगित करने का भारत का फैसला पाकिस्तान पर गंभीर और बहुआयामी प्रभाव डाल सकता है।
जल संकट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खास कर कृषि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है । इस प्रणाली का पानी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में 17 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि को सिंचित करता है ।
यदि भारत पश्चिमी नदियों के पानी को रोकता है या डाइवर्ट करता है तो पाकिस्तान में गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है जिससे फसल उत्पादन में भारी कमी आएगी।
खाद्य सुरक्षा पर संकट : पाकिस्तान की लगभग 70% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। पानी की कमी से गेहूं, चावल और कपास जैसी प्रमुख फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा जिससे खाद्य सुरक्षा पर गंभीर संकट आ सकता है ।
ऊर्जा संकट : पाकिस्तान अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का एक बड़ा हिस्सा जल विद्युत परियोजनाओं से प्राप्त करता है जो सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। पानी की आपूर्ति में कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होगा जिससे देश में पहले से मौजूद ऊर्जा संकट और गहरा जाएगा।
अब पाकिस्तान के पास क्या विकल्प है
पाकिस्तान इस मसले को विश्व बैंक या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जा सकता है क्योंकि समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था ।
हालांकि भारत ने पहले ही हेग स्थाई मध्यस्थता न्यायालय की कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया है जिससे पाकिस्तान की कानूनी स्थिति कमजोर हो सकती है।
इस तरह देखा जाए तो पाकिस्तान के पास कोई खास उपाय नहीं बचा है। बता दें कि 1948 में भारत में दो प्रमुख नेहरों का पानी रोक दिया था जिससे पाकिस्तान पंजाब में 17 लाख एकड़ जमीन पानी के लिए तरस गई थी। अब एक बार फिर पाकिस्तान में भयंकर जल संकट आ सकता है।
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