India’s first indigenous antibiotic
नैफिथ्रोमाईसिन : भारत की पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक बाजार में उतरने को तैयार
India’s first indigenous antibiotic
नई दिल्ली , 7 दिसंबर
India’s first indigenous antibiotic भारत ने कई वर्षों की लगातार मेहनत के दम पर इतिहास रच दिया ।
भारत के इस दावे से दुनिया हैरत में पड़ गई है कि भारतीय फार्मा इंडस्ट्री ने अपनी खुद की एंटीबायोटिक विकसित कर ली है।
भारत इस दवा को विकसित करने में 14 सालों से लगा हुआ था । इतने लंबे संघर्ष में देश ने 500 करोड़ ₹ का खर्चा किया , तब जाकर यह एंटीबायोटिक तैयार हुई है ।
क्लिनिकल ट्रायल खत्म , बाजार में उतरने को तैयार
नैफिथ्रोमाईसिन दवा का क्लिनिकल ट्रायल खत्म हो गया है । इसमें 14 साल की मेहनत लगी है । इसका क्लिनिकल ट्रायल भारत सहित अमेरिका और यूरोप में भी किया गया था ।
ट्रायल में इस दवा को एजीथ्रोमाइसिन से 10 गुणा ज्यादा प्रभावी पाया गया है । इसमें 96.7 प्रतिशत तक क्लिनिकल क्योर , न्यूनतम साइड इफेक्ट , भोजन के साथ या भोजन के बिना लेने की सुविधा इसे ओर ज्यादा उपयोगी सिद्ध करता है ।
किस इलाज में होगी उपयोग
नैफिथ्रोमाईसिन एक अर्ध सिंथेटिक मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक है , इसे प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने हेतु विकसित किया गया है ।
इसे खासतौर पर वयस्कों में कम्युनिटी एक्वायर्ड बैक्टिरियल न्यूमोनिया के इलाज हेतु तैयार किया गया है ।
इसकी खास बात यह है कि इसे केवल तीन दिन हेतु दिन में एक बार ही लेना होगा । यह दावा फेफड़ों में लंबे समय तक बनी रहेगी जिससे इसका असर भी काफी समय तक बना रहेगा ।
जल्द होगी लॉन्च
इस दवा को जल्द ही मार्केट में लॉन्च किया जाएगा । इसे मुंबई स्थित एक फार्मास्युटिकल कंपनी ने तैयार किया है ।
विशेषज्ञों का मानना है कि नैफिथ्रोमाईसिन दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में क्रांतिकारी सिद्ध हो सकती है । यह दवा इतनी प्रभावी होगी जितनी आज दिन तक कोई दवा प्रभावी सिद्ध नहीं हुई है ।
हालांकि इसका इस्तेमाल काफी जिम्मेदारी पूर्वक करना होगा ताकि भविष्य में इसके प्रति भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित ना हो ।
चूंकि यह मेड इन इंडिया दवा है अतः यह सस्ती और किफायती साबित होने वाली है । क्योंकि भारतीय उत्पाद मार्केट में हमेशा सबसे सस्ते होते है ।
कोरोना वैक्सीन भी उस समय कई देशों ने विकसित की थी लेकिन भारतीय वैक्सीन मार्केट में ज्यादा बिकी क्योंकि यह काफी सस्ती और किफायती थी ।
यह दवा उन लाखों मरीजों के लिए वरदान साबित होगी जिनके लिए azithromycin ज्यादा असरकारक साबित नहीं हो रही है ।
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