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Dramatic Events countinue happens in Bishnoi Mahasabha

11 नवंबर को ही कुलदीप को संरक्षक पद से हटा दिया था

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मुकाम, नोखा _ 12 नवंबर

अखिल भारतीय विश्नोई महासभा में वर्चस्व को लेकर चल रही लड़ाई में हर घंटे कुछ ना कुछ अजीबोगरीब घटना सामने आ रही है ।

कल 12 नवंबर को संरक्षक की शक्तियों का उपयोग करते हुए देवेंद्र जी को अध्यक्ष पद से हटाया था

कुलदीप विश्नोई ने महासभा पर अपना वर्चस्व कायम रखने हेतु कल एक पत्र जारी कर अपने एक्स हैंडल पर लिखा था कि समाज को तोड़ने वाली गतिविधियों में संलिप्तता पाए जाने पर देवेंद्र जी को अध्यक्ष पद से तुरंत प्रभाव से कार्यमुक्त किया जाता है।

कुलदीप को आई स्व.रामसिंह जी की याद

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कुलदीप विश्नोई ने आनन फानन में परसराम विश्नोई जो स्व. रामसिंह जी के बेटे है को अध्यक्ष पद की कार्यकारी शक्तियों से नवाजा था और यह भी लिखा था कि अगले चुनाव होने तक ये पद पर रहेंगे।

उन्होंने पत्र में स्व .रामसिंह के परिवार के गौरव शाली इतिहास का भी जिक्र किया ओर बताया कि परसराम विश्नोई समाज को दिशा दिखाने का कार्य करेंगे।

महासभा के वायरल पत्र में 11 नवंबर को ही संरक्षक को पद मुक्त किया जा चुका था

अब महासभा का एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें संरक्षक पद से कुलदीप विश्नोई को 11 नवंबर को ही हटा दिया था।

पत्र की खास बात लोगों ने नोटिस नहीं की

पत्र वायरल होते ही लोगों ने कुलदीप पर महासभा द्वारा बदले की कार्यवाही करना बताया जा रहा है।

जबकि इस लेटर की खास बात है जारी होने की तारीख _ यह लेटर 11 नवंबर को जारी हुआ है जिसमें समाज को तोड़ने और कुलदीप के बेटे द्वारा अंतर्जातीय विवाह करने को आधार बता कर कुलदीप को संरक्षक पद से हटाना बताया गया है।

जब 12 नवंबर को कुलदीप विश्नोई संरक्षक थे ही नहीं तो अध्यक्ष को कैसे हटा सकते है

महासभा का पत्र जारी होते ही पता चला कि यह प्रक्रिया कानूनी दांवपेंच में उलझ जाएगी क्योंकि जब 11 नवंबर को ही संरक्षक को महासभा पद से हटा चुकी थी तो 12 नवंबर को संरक्षक अपनी शक्तियों का प्रयोग कैसे कर सकता है।

अब यह दोनों तरफ से की गई कार्यवाही कोर्ट में उलझेगी

दोनों तरफ से आनन फानन में की गई कार्यवाही अब कोर्ट में उलझ सकती है क्योंकि महासभा इस आधार पर संरक्षक की कार्यवाही को अवैध बता रही है कि 12 नवंबर को कुलदीप संरक्षक थे ही नहीं तो कार्यवाही कैसे कर सकते है।

जबकि कुलदीप का धड़ा इस आधार पर चुनौती दे रहा है कि महासभा के पत्र पर भले ही तारीख 11 नवंबर की है पर पत्र तो 12 नवंबर को बैक डेट में जारी किया गया है।

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