Bishnoi Mahasabha clashes will going to court surely
मुकाम ( बीकानेर ) , 14 नवम्बर
पिछले चार दिन से अखिल भारतीय विश्नोई महासभा में चल रहा घमासान कल निर्णायक दौर में पहुंच गया।
कल समाज के गणमान्य नागरिकों , साधु संतों और कार्यकारिणी के सदस्यों ने मुकाम में आपातकालीन बैठक आहूत की थी ।
बैठक में राजस्थान सहित पंजाब , हरियाणा से भी समाज के लोग पहुंचे। सवेरे परसराम विश्नोई गुट ने रातानाडा धर्मशाला जोधपुर में बैठक बुलाई थी , वहां यह निर्णय हुआ कि समाज को दो फाड़ होने से बचाना है तो सबको मुकाम में आहूत बैठक में जाना चाहिए । फिर वहां से सभी लोग मुकाम पहुंचे।
समाज ने दिखाई गजब की एकता
समाज के वे लोग जो शुरू से कुलदीप बिश्नोई की चाटुकारिता का आरोप लगाकर देवेंद्र से नाराज थे , ने भी कल बुड़िया का समर्थन किया और कहा कि एक निरंकुश व्यक्ति से समाज हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहता है , तो सबको सर्वसम्मति से निर्णय लेना होगा और एकजुटता दिखानी होगी।
फिर अभी लोगों ने मिलकर कुलदीप विश्नोई को संरक्षक पद से हटाने और यह पद हमेशा के लिए खत्म करने का निर्णय लिया ।
पप्पू राम डारा ने दिखाई विरोधी तेवर
मंच पर भाषण के दौरान पप्पू राम डारा ने बुढ़िया पर आरोप लगाए और समाज को बांटने वाली गतिविधि में पूर्व में कुलदीप विश्नोई का साथ देने का आरोप लगाया।
लेकिन वहां उपस्थित समाज के सभी लोगों ने पप्पू डारा का जोरदार विरोध किया और माइक छीन लिया जिससे पप्पू डारा नाराज होकर वहां से चले गए।
बिश्नोई महासभा का इतिहास
बिश्नोई महासभा की स्थापना सर्वप्रथम नगीना ( उत्तर प्रदेश ) में हुई थी और वहीं इसका मुख्य कार्यालय खोला गया था ।
बाद में स्व. भजन लाल बिश्नोई का समाज पर मजबूत वर्चस्व स्थापित हो जाने से मुख्य कार्यालय हिसार स्थानांतरित कर दिया गया था ।
भजन लाल जी के स्वर्गवास के बाद समाज के लोगों ने मांग की कि महासभा का मुख्य कार्यालय भी समाज के पवित्र स्थल मुकाम में ही होना चाहिए और कार्यालय मुकाम स्थानांतरित कर दिया गया।
शुरू में संस्था का रजिस्ट्रेशन मुरादाबाद ( यूपी ) में होने के कारण कोर्ट का सारा कामकाज आज भी वही से संचालित होता है।
अब क्या करेगा कुलदीप गुट
कुलदीप गुट ने कहा है कि महासभा द्वारा संरक्षक पद को समाप्त करने की गई एकतरफा कार्यवाही अवैध है और वो इसे कोर्ट में चुनौती देंगे ।
उस गुट ने कोर्ट जाने की सारी रणनीति तैयार कर ली है । उनका यह भी आरोप है कि 11 नवंबर की डेट से जारी किया गया आदेश बैक डेट में जारी हुआ है जो अवैध है ।
चूंकि संरक्षक अध्यक्ष को पहले ही हटा चुके थे अतः उन्हें निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है ।
देवेंद्र जी के साथ पूरा समाज खड़ा है अतः कुलदीप का अब वर्चस्व लगभग खत्म सा हो गया है । वो भले ही कोर्ट जाए उनका वहां भी टिक पाना मुश्किल है।
बुड़ीया गुट भी तैयार
यदि विरोधी पक्ष कोर्ट का रुख करता है तो क्या आवश्यक कार्यवाही करनी है को लेकर देवेंद्र जी ने भी रणनीति तैयार करने का फैसला लिया है ।
देवेंद्र गुट इस बात को लेकर आश्वस्त है कि समाज के सभी लोग साथ होने के कारण उनके द्वारा की गई कार्यवाही को कोर्ट अवैध घोषित नहीं करेगा जबकि कुलदीप ने अध्यक्ष को हटाने का अकेले ही फैसला लिया था ।
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